पंजाब सचिवालय साहित्य सभा द्वारा "कविक लकीरां" पुस्तक की सार्वजनिक प्रस्तुति

पंजाब सिविल सचिवालय चंडीगढ़ के साहित्य एवं संस्कृति से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा पंजाबी मातृभाषा की सेवा के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। साहित्य सभा के अध्यक्ष मलकीत सिंह औजला ने पंजाबी साहित्य में प्रमुख स्थान रखने वाले 52 लेखकों द्वारा लिखित विभिन्न रचनाओं की संयुक्त पुस्तक "कविक लकीरां" का संपादन किया।

पंजाब सिविल सचिवालय चंडीगढ़ के साहित्य एवं संस्कृति से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा पंजाबी मातृभाषा की सेवा के लिए प्रयास किये जा रहे हैं। साहित्य सभा के अध्यक्ष मलकीत सिंह औजला ने पंजाबी साहित्य में प्रमुख स्थान रखने वाले 52 लेखकों द्वारा लिखित विभिन्न रचनाओं की संयुक्त पुस्तक "कविक लकीरां" का संपादन किया। सार्वजनिक अर्पण समारोह पंजाब भवन में आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी श्री मंजीत सिंह नारंग थे। इस कार्यक्रम में शिरोमणि बाल साहित्यकार मनमोहन सिंह दाऊं ने विशेष अतिथि के रूप में भाग लिया और मोहाली से जिला भाषा अधिकारी दविंदर बोहा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और प्रसिद्ध कवि प्रोफेसर कुलवंत सिंह औजला ने पुस्तक का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने के बाद पुस्तक पढ़ी।
इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए सचिवालय साहित्य सभा के अध्यक्ष श्री मलकीत सिंह औजला ने कहा कि उन्होंने सचिवालय के कर्मचारियों से अपील की है कि जो कर्मचारी पंजाबी साहित्य से जुड़े हैं और गीत, कविताएं और ग़ज़ल लिखने के शौकीन हैं को अपनी रचनाएँ पुस्तक में प्रकाशन हेतु साहित्य सभा में भेजनी चाहिए। इसके बाद सचिवालय के कई पुराने लेखकों और नये भर्ती हुए कर्मचारियों ने अपनी रचनाएँ भेजीं, जिनमें सचिवालय के कर्मचारियों के अलावा कई अन्य कार्यालयों के कर्मचारियों ने भी अपनी रचनाएँ भेजीं। इन लेखकों की कलम को और अधिक प्रोत्साहन देने के लिए इस पुस्तक में कई प्रसिद्ध लेखकों की रचनाएँ भी शामिल की गईं, जिनमें प्रमुख कवि शमशेर संधू, मनमोहन सिंह दाऊन, बीबी दलजीत कौर दाऊन, बचन बेदिल, अलबेल बराड़, हरविंदर ओहदपुरी, लाभ चटमली शामिल हैं। वाला, भूपिंदर मटौरवाला, भगत राम रंगारा, अली राजपुरा, सरबजीत विरदी, प्रोफेसर सरदूल औजला, हरजिंदर सैन स्केटरी, जिंद सवारा, बलदेव परदेसी, वरयाम बटालवी, प्रीतम लुधियानवी, बलजीत फिदियांवाला, लखवीर लक्खी आदि उल्लेखनीय हैं।
सचिवालय के लेखकों में राज कुमार सहोवालिया, अमर विरदी, जरनैल हुशियारपुरी, अजमेर सागर, कर्नल सहोता, रणजोध राणा, दलबीर सरोआ, गुरुमीत सिंगल, सुरजीत सुमन, परमदीप भबात, भूपिंदर झाज, करतार छीना, बलजिंदर बल्ली, हरप्रीत बलगन, कुलदीप खरा, शुदेश कुमारी, निर्मला, बलजीत कौर, जतिंदर कौर बिंद्रा, हरबंस प्रीत, अर्शदीप सिंह, सुखविंदर नूरपुरी, इंद्रजीत सिंह, के. रॉय, रूप सतवंत, अमनिंदर सिंह, सुखचरण सिंह साहोके, जसबीर सिंह, नवप्रीत सिंह, उजागर सिंह पन्नुआ, केवल मानकपुरी, जॉनपाल आदि की कृतियाँ सम्मिलित हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य मनजीत सिंह नारंग आईएएस (रिटा.) ने कहा कि मलकीत सिंह औजला द्वारा किया गया यह कार्य बहुत ही सराहनीय है और उम्मीद है कि वह भविष्य में भी इसी तरह के कार्य करते रहेंगे। स्रोमणि बाल लेखक मनमोहन सिंह दाऊन ने पुस्तक में लेखकों के कार्यों पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पुस्तक में लेखकों ने अपनी भावनाओं को बहुत सुंदर और सुसंगत तरीके से प्रस्तुत किया है और पुस्तक में सभी रचनाएँ पढ़ने योग्य और सराहनीय हैं| कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. दविंदर बोहा ने इस पुस्तक को बहुत ही मूल्यवान पुस्तक बताते हुए कहा कि पंजाबी साहित्य में ऐसी मौलिक पुस्तकों की बेहद कमी है। यदि पंजाब की सभी साहित्य सभाएं ऐसे गंभीर और सार्थक प्रयास करें तो पंजाबी भाषा और साहित्य को कोई खतरा नहीं है। इस किताब को पढ़ते हुए मलकीत सिंह औजला सर की सराहना होनी चाहिए| क्योंकि एडिटिंग कोई आसान काम नहीं है. क्योंकि हर लेखक अपनी भावनाओं और विचारों को कागज पर लिखता है और उसे पाठकों तक पहुंचाना संपादक की बड़ी जिम्मेदारी होती है। अंत में मैं यही कहूंगा कि मलकीत सिंह औजला अपने मकसद में पूरी तरह सफल रहे हैं।
इस कार्यक्रम में लेखक करनैल सहोता, कवि राज कुमार साहोवालिया, कहानीकार गुरमीत सिंगल और कवि सुरजीत सुमन को सभा की ओर से सेवा मुक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया। मंच का संचालन राज कुमार सहोवालिया ने किया। सभा द्वारा पुस्तक में सम्मिलित लेखकों को पुस्तक का सेट भेंट कर सम्मानित किया गया।
पुस्तक के उपरोक्त लेखकों के अलावा, सुखचैन खैरा, सुशील कुमार, मंजीत रंधावा, जसप्रीत रंधावा, कुलवंत सिंह, रूपिंदर रूपी, दलजीत सिंह, अलका चोपड़ा, सुखजीत कौर, सुरिंदर कोहली, कमल शर्मा, नवीन राणा, कुलविंदर सिंह, करण, हरजिंदर, अरविंद पुरी, रणधीर धीरा, सुखविंदर सुखा, कुलवंत खोखर, सुखविंदर सिंह सैनी, अवतार भंवरा, हरदेव सिंह सैनी, हरबंस सिंह क्लेयर, ध्यान सिंह काहलों, कार्तिक कंडा, प्रशांत, प्रतिभा, भगत राम रंगारा और इंद्रजीत सिंह प्रेमी आदि। अंत में साहित्य सभा के अध्यक्ष मलिकित औजला ने अतिथियों और लेखकों का धन्यवाद किया।