घड़ाम में आयोजित नगर कीर्तन में हरमीत सिंह पठानमाजरा भी शामिल हुए

देवीगढ़ (पटियाला), 13 अप्रैल:- खालसा के सजना का दिन 'वैसाखी' सिखों के नए साल के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है यह त्यौहार गेहूं की फसल की कटाई से भी जुड़ा है। ये विचार विधानसभा हलका सन्नौर के विधायक हरमीत सिंह पठानमाजरा ने सन्नौर हलके के गांव घड़ाम में संत बाबा कश्मीर सिंह जी भूरी वाले, बाबा सुखविंदर सिंह भूरी वाले की छत्रछाया में संगत के सहयोग से आयोजित नगर कीर्तन में शामिल होने पर व्यक्त किए।

देवीगढ़ (पटियाला), 13 अप्रैल:- खालसा के सजना का दिन 'वैसाखी' सिखों के नए साल के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है यह त्यौहार गेहूं की फसल की कटाई से भी जुड़ा है। ये विचार विधानसभा हलका सन्नौर के विधायक हरमीत सिंह पठानमाजरा ने सन्नौर हलके के गांव घड़ाम में संत बाबा कश्मीर सिंह जी भूरी वाले, बाबा सुखविंदर सिंह भूरी वाले की छत्रछाया में संगत के सहयोग से आयोजित नगर कीर्तन में शामिल होने पर व्यक्त किए। 
इस अवसर पर जत्थेदार बाबा कश्मीर सिंह जी भूरी ने कहा कि बैसाखी का पवित्र त्योहार न केवल पंजाब में बल्कि भारत के साथ-साथ अमेरिका और कनाडा में भी श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि बैसाखी के दिन दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने 13 अप्रैल 1699 को खालसा पंथ की शुरुआत की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य धर्म की रक्षा और समाज का कल्याण था। बैसाखी को मेष संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है और बैसाखी को बंगाली कैलेंडर का पहला दिन माना जाता है और इस दिन को बंगाल में त्योहार के रूप में मनाया जाता है।
इस मौके पर जत्थेदार बाबा कश्मीर सिंह जी भूरी वाले, सुखविंदर सिंह, विधायक हरमीत सिंह पठान माजरा, सुखदेव सिंह समेत सभी श्रद्धालु व सेवादार मौजूद थे।