छोटे-छोटे मासूम बच्चों के लिए खोले गए आंगनबाडी केंद्रों का हाल झुग्गी-झोपड़ी जैसा बन गया है : सोनी, लक्की

केंद्र और राज्य सरकारें पंजाब में आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ लापरवाही से व्यवहार कर रही हैं। उन्होंने उन्हें अनाथों की तरह बना दिया है। यह बात आदर्श सोशल वेलफेयर सोसाइटी पंजाब के संस्थापक अध्यक्ष सतीश कुमार सोनी और वरिष्ठ उपाध्यक्ष लखविंदर कुमार जी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि गांवों और शहरों में आंगनवाड़ी केंद्र खोले जा रहे हैं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति भी की जा रही है। पूर्व में भगवंत मान सरकार द्वारा भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई थी। यहां तो आगे-दौड, पीछे-छोड़ की बात हो रही है. नये तो नियुक्त किये जा रहे हैं लेकिन पुराने कार्यकर्ताओं को आंगनबाडी केन्द्रों में जगह नहीं दी जा रही है। उनके साथ अनाथों जैसा व्यवहार किया जा रहा है।

गढ़शंकर केंद्र और राज्य सरकारें पंजाब में आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ लापरवाही से व्यवहार कर रही हैं। उन्होंने उन्हें अनाथों की तरह बना दिया है। यह बात आदर्श सोशल वेलफेयर सोसाइटी पंजाब के संस्थापक अध्यक्ष सतीश कुमार सोनी और वरिष्ठ उपाध्यक्ष लखविंदर कुमार जी ने एक प्रेस वार्ता के दौरान कही। उन्होंने कहा कि गांवों और शहरों में आंगनवाड़ी केंद्र खोले जा रहे हैं और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति भी की जा रही है। पूर्व में भगवंत मान सरकार द्वारा भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति की गई थी। यहां तो आगे-दौड, पीछे-छोड़ की बात हो रही है. नये तो नियुक्त किये जा रहे हैं लेकिन पुराने कार्यकर्ताओं को आंगनबाडी केन्द्रों में जगह नहीं दी जा रही है। उनके साथ अनाथों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। गढ़शंकर का उदाहरण हमारे सामने है कि यहां 13 वार्डों में मात्र 13 आंगनबाडी केन्द्र हैं जबकि जनसंख्या के हिसाब से 20 केन्द्र होने चाहिए। 13 आंगनवाड़ी  केंदर खुलने के बावजूद राज्य सरकार की ओर से कोई निश्चित स्थान उपलब्ध नहीं कराया गया। नियमानुसार जहां भी आंगनवाड़ी केंद्र स्वीकृत किया जाता है, पहले उसके लिए और उसके भवन के लिए जमीन उपलब्ध कराई जाती है। अनुदान भी आवश्यकता के अनुसार ही स्वीकृत किया जाता है। उसके बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति होती है लेकिन यहां तो सरकारें हवा में तीर चलाती हैं। छोटे-छोटे मासूम बच्चों के लिए खोले गए आंगनबाडी केंद्रों की हालत अस्थायी आवासों में सिमट कर रह गई है। न तो पिछली सरकारों ने कोई सुधार किया, न ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और जनता की बदौलत आई वर्तमान सरकार ने आंगनवाड़ी केंद्र बनाने के लिए कोई कदम उठाया।  बात सोचने की यह है कि जमीन खरीदने से लेकर भवन निर्माण तक के लिए जो अनुदान स्वीकृत किये गये होंगे उनका क्या हुआ और वे कहां गये, इसमें बहुत बड़े घोटाले की शंका जताई जा रही है।  जिसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए कि यह फंड कहां गया, इसमें हुई गड़बड़ी के लिए कौन जिम्मेदार है।  आदर्श सोशल सोसायटी की टीम ने जब एक आंगनवाड़ी केंद्र का दौरा किया तो पता चला कि पिछले छह महीने से राज्य सरकार ने आंगनबाडी कार्यकर्ताओं का बकाया वेतन भी जारी नहीं किया है. गौरतलब है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के वेतन का एक हिस्सा केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है जो 5500 रुपये है और वेतन का एक हिस्सा राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है जो 4500 रुपये प्रति माह है। जो मार्च महीने से लगभग छह महीने का वेतन राज्य सरकार द्वारा वेतन जारी नहीं किया गया है, जिसके कारण आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को अपनी दैनिक जरूरतों के लिए कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ भवन नहीं होने के बावजूद, अपने स्तर पर जगह का प्रवन्ध कर रहे है और सरकारें उनका वेतन न जारी करके उनका शोषण कर रही हैं।