ग्रामीण मजदूर संघ का प्रदर्शन

करतारपुर - 8 सितंबर को करतारपुर थाने के अंतर्गत आने वाले गांव काला बाहियां में एक किसान परिवार की दीवार के निर्माण को लेकर जाति के अहंकारी लोगों द्वारा दलित निर्माण मजदूरों की हत्या के मामले में ग्रामीण मजदूर यूनियन पंजाब ने आज यहां अंबेडकर चौक में धरना देकर शेष दोषियों को गिरफ्तार कर पीड़ितों को न्याय देने की मांग की.

करतारपुर - 8 सितंबर को करतारपुर थाने के अंतर्गत आने वाले गांव काला बाहियां में एक किसान परिवार की दीवार के निर्माण को लेकर जाति के अहंकारी लोगों द्वारा दलित निर्माण मजदूरों की हत्या के मामले में ग्रामीण मजदूर यूनियन पंजाब ने आज यहां अंबेडकर चौक में धरना देकर शेष दोषियों को गिरफ्तार कर पीड़ितों को न्याय देने की मांग की. मौके पर प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे डीएसपी करतारपुर सुरिंदरपाल धोगड़ी ने बताया कि 5 नामजद दोषियों समेत 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है और एक व्यक्ति के खिलाफ एलओसी जारी कर दी गई है और उसे जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. नायब तहसीलदार करतारपुर अमरजीत सिंह ने पत्तर खुर्द निवासी मृतक सुखदेव सिंह के पीड़ित परिवार को 8.50 लाख रुपये मुआवजा, आधी रकम दो दिन के अंदर दिलाने समेत न्याय का आश्वासन दिया। जिस पर यूनियन ने हड़ताल समाप्त कर चेतावनी दी कि अगर प्रशासन अपना वादा पूरा नहीं करता है तो हम मजबूरन शव को प्रशासन के दर पर रखकर धरना प्रदर्शन करेंगे.
*पीड़ित परिवार ने आज 11वें दिन भी मृतक का संस्कार नहीं किया है और मांगें पूरी होने के बाद ही अंतिम संस्कार करने का ऐलान किया है।*
इस मौके पर यूनियन नेताओं ने कहा कि भगवंत मान सरकार की निंदा करते हुए कहा कि मौजूदा राज्य सरकार भी कर्मचारियों को दोयम दर्जे का नागरिक समझ रही है। उन्होंने कहा कि पीड़ित दलित परिवार ने न्याय की मांग को लेकर आठ सितंबर से मृतक निर्माण मजदूर का अंतिम संस्कार नहीं किया है, लेकिन यह सरकार भी मजदूर विरोधी रवैया अपनाये हुए है. आए दिन मजदूरों के साथ बुरी घटनाएं हो रही थीं. राज्य में श्रमिकों की सुरक्षा की कोई उचित व्यवस्था नहीं है और न ही सरकार श्रमिकों की उत्तराधिकारी बनने को तैयार है. उन्होंने कहा कि काला बहिया हत्याकांड में सभी दोषियों की गिरफ्तारी नहीं हुई और कानून के मुताबिक पर्याप्त मुआवजा भी नहीं दिया गया. हालांकि दलित हत्याकांड के मामले में पोस्टमार्टम से पहले पीड़ित परिवार को मुआवजा देना होता है. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति आयोग भी लंबे समय से सोया हुआ है और सफेद हाथी साबित हो रहा है.
गौरतलब है कि 8 सितंबर को गांव काला बहिया में एक किसान परिवार ने अपने प्लॉट की दीवार बनाने के लिए राजमिस्त्री और अन्य मजदूरों को बुलाया था. दीवार को लेकर पड़ोसियों से नोकझोंक हुई दीवार निर्माण के बाद जब परिवार राजमिस्त्री व मजदूरों को अड्डे पर छोड़ने जा रहा था तो दूसरे पक्ष ने झूठी साजिश के तहत उन पर हमला कर दिया. और जाति की शान में दलित मजदूर सुखदेव सिंह पुत्र लछमन सिंह निवासी पत्थर खुर्द और एक अन्य निवासी हिमाचल प्रदेश की हत्या कर दी गई। करतारपुर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर कुछ हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया और 10 सितंबर को ग्रामीण मजदूर यूनियन पंजाब के हस्तक्षेप के बाद मामले में एससी, एसटी एक्ट जोड़ा गया. और शेष दोषियों की गिरफ्तारी के लिए केस कल्याण पदाधिकारी को भेजने और पीड़ित परिवार को कानून के मुताबिक मुआवजा दिलाने का आश्वासन दिया. जानकारी के मुताबिक पुलिस प्रशासन ने मुआवजा केस तैयार कर कल्याण विभाग को भेज दिया है. जिला प्रशासन ने जानबूझकर नियम विरुद्ध विलंब कर पीड़ित दलित परिवार के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है, जो बेहद निंदनीय है. उन्होंने कहा कि दलित आरक्षण का लाभ उठाकर सत्ता का सुख भोगने वाले राजनेता आम दलित कार्यकर्ताओं को पूरी तरह से भूल गये हैं और काला बाहिया कार्यकर्ताओं की हत्या के मामले में भी उनकी जुबान बंद है.
यूनियन नेताओं ने कहा कि सरकार जिंदा रहते हुए भी मजदूरों को नहीं समझती और मरने के बाद भी शव को सड़क पर रखकर न्याय लेना पड़ता है. उन्होंने यह भी मांग की कि बिशनपुरा सुनाम जिला संगरूर के कैंटर के नीचे कुचलकर मारे गए मनरेगा मजदूरों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और उनके एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए।