वेटरनरी विश्वविद्यालय गहन जलीय कृषि प्रौद्योगिकी में क्षेत्र की अग्रणी संस्था

लुधियाना 02 सितम्बर 2024:- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना ने पर्यावरणीय परिवर्तनों के दौरान जलीय कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने और सामंजस्य स्थापित करने के लिए भारत सरकार की प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना द्वारा वित्त पोषित एक 'क्षमता निर्माण केंद्र' स्थापित किया है। इस केन्द्र में बायोफ्लॉक विधि एवं रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर संरचना के माध्यम से मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। डॉ इंद्रजीत सिंह, वाइस चांसलर ने कहा कि केंद्र को 1.39 करोड़ के बजट के साथ विकसित किया गया है और यह उत्तर भारत में अपनी तरह का पहला केंद्र है। इस केंद्र के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र में सतत और किफायती विकास के लिए मछली किसानों, इच्छुक उद्यमियों, संबंधित अधिकारियों और वैज्ञानिकों की जरूरतों को पूरा किया जाएगा।

लुधियाना 02 सितम्बर 2024:- गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज यूनिवर्सिटी, लुधियाना ने पर्यावरणीय परिवर्तनों के दौरान जलीय कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का सामना करने और सामंजस्य स्थापित करने के लिए भारत सरकार की प्रधान मंत्री मत्स्य सम्पदा योजना द्वारा वित्त पोषित एक 'क्षमता निर्माण केंद्र' स्थापित किया है। इस केन्द्र में बायोफ्लॉक विधि एवं रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर संरचना के माध्यम से मछली पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है। डॉ इंद्रजीत सिंह, वाइस चांसलर ने कहा कि केंद्र को 1.39 करोड़ के बजट के साथ विकसित किया गया है और यह उत्तर भारत में अपनी तरह का पहला केंद्र है। इस केंद्र के माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र में सतत और किफायती विकास के लिए मछली किसानों, इच्छुक उद्यमियों, संबंधित अधिकारियों और वैज्ञानिकों की जरूरतों को पूरा किया जाएगा।

  डॉ मीरा डी आंसल, डीन, कॉलेज ऑफ फिशरीज ने कहा कि ऐसी प्रौद्योगिकियां में पानी और भूमि की आवश्यकता केवल 10 से 15 प्रतिशत रह जाती है  और तालाबों की तुलना में उत्पादन को 8 से 10 गुना बढ़ा देती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इससे पर्यावरणीय बदलावों से भी निपटा जा सकता है। पिछले एक वर्ष में इस केंद्र के माध्यम से 190 किसानों, मत्स्य अधिकारियों, उद्यमियों और छात्रों को प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षण के लिए पड़ोसी राज्यों जैसे हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेशों के भागीदारों को भी आमंत्रित किया गया है।

  इस प्रयास को आगे बढ़ाते हुए, परिसर के बाहर प्रदर्शनियाँ और तकनीकी ज्ञान प्रदान करके इस पद्धति को बढ़ावा देने के लिए 22 उद्यमियों को शामिल किया गया है। पंगास कैटफ़िश के अलावा, सिंघी और क्लाइंबिंग पर्क प्रजातियों का भी भविष्य में पालन के लिए परीक्षण किया जा रहा है। देश के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में ऐसे केंद्र स्थापित किये गये हैं लेकिन इनके माध्यम से प्रशिक्षण देने का कोई प्रावधान नहीं है। इस संबंध में वेटरनरी विश्वविद्यालय का यह केंद्र अनुसंधान एवं विकास तथा क्षमता निर्माण के अंतर्गत अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है।