बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए मां का दूध पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है - सिविल सर्जन डॉ.जसप्रीत कौर

नवांशहर - सिविल सर्जन डॉ.जसप्रीत कौर के कुशल मार्गदर्शन में जिला स्वास्थ्य विभाग, शहीद भगत सिंह नगर आम जनता में मां के दूध के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाएगा। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम "अंतर को कम करना: सभी शिशुओं के लिए स्तनपान सहायता" है।

नवांशहर - सिविल सर्जन डॉ.जसप्रीत कौर के कुशल मार्गदर्शन में जिला स्वास्थ्य विभाग, शहीद भगत सिंह नगर आम जनता में मां के दूध के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 1 अगस्त से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाएगा। इस वर्ष विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम "अंतर को कम करना: सभी शिशुओं के लिए स्तनपान सहायता" है।
 इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ.जसप्रीत कौर ने जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों एवं जिला नोडल पदाधिकारी के साथ आयोजित एक विशेष बैठक में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाने के संबंध में निर्देश जारी करते हुए कहा कि विश्व स्तनपान सप्ताह प्रत्येक वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि जिले भर में विश्व स्तनपान सप्ताह के सफल क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य दिवसवार कार्ययोजना तैयार की जाए। एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं को घर-घर जाकर गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को बच्चे के लिए स्तन के दूध के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए। स्तनपान कराने से बीमारियों का खतरा कम हो जाता है, जबकि स्तनपान कराने से माताओं में स्तन कैंसर, डिम्बग्रंथि कैंसर और मधुमेह का खतरा कम हो जाता है। इससे जहां मां और बच्चे के बीच स्नेह बढ़ता है, वहीं मां खुद भी स्वस्थ रहती है। डॉ. जसप्रीत कौर ने आगे कहा कि भारत में केवल 41 फीसदी शिशुओं को पहले आधे घंटे में मां का दूध दिया जाता है.
 स्तनपान न कराने के कारण अनुमानित शिशु मृत्यु को रोका जा सकता है। माँ का दूध बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक तत्व मौजूद होते हैं। माँ का दूध बच्चे के लिए अमृत के समान है और यह उसका मूल अधिकार भी है। इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. मंदीप कमल ने कहा कि जन्म के बाद पहले आधे घंटे के अंदर बच्चे को मां का दूध जरूर पिलाना चाहिए। क्योंकि बच्चे को मां का पहला गाढ़ा दूध (बोहला) पिलाने से बच्चे में बीमारियों से लड़ने की ताकत पैदा होती है।
उन्होंने कहा कि जन्म के पहले घंटे में स्तनपान शुरू करने से नवजात बच्चों की मृत्यु को 20 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिन बच्चों को मां का दूध नहीं दिया जाता है, उनमें निमोनिया से 15 प्रतिशत और डायरिया से 11 प्रतिशत मौत का खतरा होता है, जो पांच साल तक की उम्र के बच्चों में होने वाली कुल मौतों का प्रमुख कारण है। छह माह के बाद बच्चे को मां के दूध के साथ-साथ नरम ठोस पदार्थ भी देना चाहिए।