
पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के संस्कृत विभाग में एक व्याख्यान का आयोजन
चंडीगढ़ 17 सितंबर 2024- आज पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के संस्कृत विभाग और श्रीमंत शंकर देव चेयर के संयुक्त तत्वाधान में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर योजना रावत थे और मुख्य वक्ता डॉ. रटूल चंद्र बोहरा रहे। उन्होंने "श्रीमंत शंकरदेव का साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान" विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव असमिया संत-विद्वान थे। उनके जीवन और कार्यों का अध्ययन बहुत ही शैक्षणिक महत्व रखता है।
चंडीगढ़ 17 सितंबर 2024- आज पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के संस्कृत विभाग और श्रीमंत शंकर देव चेयर के संयुक्त तत्वाधान में एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर योजना रावत थे और मुख्य वक्ता डॉ. रटूल चंद्र बोहरा रहे। उन्होंने "श्रीमंत शंकरदेव का साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान" विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव असमिया संत-विद्वान थे। उनके जीवन और कार्यों का अध्ययन बहुत ही शैक्षणिक महत्व रखता है। उनके द्वारा किया गया शैक्षणिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक योगदान आज भी आधुनिक रचनात्मक कार्यों को प्रभावित करता है। श्रीमंत शंकरदेव के विचार, सांस्कृतिक योगदान और दर्शन असमिया लोगों के जीवन का एक अभिन्न अंग बन गए। इसलिए, शोधकर्ताओं ने लोगों की भावी पीढ़ी के नैतिक, आध्यात्मिक, मूल्य आधारित विचार, चरित्र निर्माण और व्यक्तित्व विकास को ऊपर उठाने के लिए इसके शैक्षणिक महत्व के संदर्भ में असमिया साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के योगदान की समीक्षा करने की आवश्यकता अनुभव की है। आज हमारा मुख्य उद्देश्य असमिया साहित्य और संस्कृति के संबंध में समाज के क्षेत्र में महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव के योगदान के बारे में अध्ययन करना है। इस कार्यक्रम में श्रीमंत शंकरदेव चेयर से प्रोफेसर योजना रावत, संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर वी. के. अलंकार, शिक्षक डॉ. तोमीर जी, डॉ. सुनीता जी, डॉ. विक्रम जी और दयानंद चेयर से डॉ. विजय भारद्वाज जी उपस्थित रहे।
