मनरेगा श्रमिकों और मेट्स के लिए 'न्यूनतम वेतन अधिनियम-1948' के अनुसार मजदूरी और 365 दिनों के रोजगार की मांग उठाई गई है।

नवांशहर, 19 अगस्त - राष्ट्रीय मजदूर संगठन (एनएलओ) के संयोजक बलदेव भारती ने कहा कि पंजाब भर में लगभग 18 लाख सक्रिय मनरेगा श्रमिक हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अनुदान अधिनियम-2005 के अनुसार, मनरेगा श्रमिक कानूनी रूप से न्यूनतम मजदूरी अधिनियम-1948 के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित दैनिक मजदूरी प्राप्त करने के हकदार हैं।

नवांशहर, 19 अगस्त - राष्ट्रीय मजदूर संगठन (एनएलओ) के संयोजक बलदेव भारती ने कहा कि पंजाब भर में लगभग 18 लाख सक्रिय मनरेगा श्रमिक हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार अनुदान अधिनियम-2005 के अनुसार, मनरेगा श्रमिक कानूनी रूप से न्यूनतम मजदूरी अधिनियम-1948 के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा निर्धारित दैनिक मजदूरी प्राप्त करने के हकदार हैं।
पंजाब सरकार की मजदूरी तय करने के लिए सक्षम प्राधिकारी श्रम विभाग की सांख्यिकी शाखा द्वारा दिनांक 01/03/2024 से कृषि श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 437/- रुपये 26 पैसे निर्धारित की गई है। लेकिन पंजाब में मनरेगा मजदूरों को केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मात्र 322 रुपये प्रतिदिन मिल रहे हैं और प्रत्येक मजदूर को प्रतिदिन 115 रुपये 26 पैसे का नुकसान हो रहा है। यह बड़े अफसोस की बात है कि पंजाब सरकार न्यूनतम वेतन अधिनियम-1948 के अनुसार दैनिक वेतन का भुगतान करने के लिए अपना उचित योगदान नहीं दे रही है। महंगाई के दौर में गरीब, साधनहीन मजदूरों को बेहद खराब हालात से गुजरना पड़ रहा है।
उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की कि मनरेगा मजदूरों का उचित योगदान देकर उनकी दैनिक मजदूरी को न्यूनतम मजदूरी अधिनियम-1948 के तहत श्रम विभाग द्वारा निर्धारित दैनिक मजदूरी के बराबर किया जाए। मनरेगा मेट के बारे में बात करते हुए बलदेव भारती ने कहा कि पंजाब में श्रम विभाग द्वारा 01 मार्च 2024 से कुशल श्रमिकों के लिए दैनिक वेतन 483/- रुपये 72 पैसे निर्धारित किया गया है। लेकिन मनरेगा के कार्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए कुशल श्रेणी में आने वाले भर्ती मेटों को इसके बराबर भुगतान नहीं किया जा रहा है बल्कि मनरेगा की दैनिक मजदूरी मात्र 322 रुपये प्रतिदिन है। इस तरह मेट्स को प्रतिदिन 161/-रुपये 72 पैसे का नुकसान हो रहा है। उन्होंने मांग की कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मनरेगा श्रमिकों को कुशल मजदूरी मिले.
बलदेव भारती ने मनरेगा मजदूरों को वित्तीय वर्ष के दौरान 365 दिन का रोजगार दिये जाने की मांग करते हुए कहा कि गरीबी की चक्की में पिस रहे साधनों से वंचित मनरेगा मजदूरों के परिवारों की जीविका के लिए इस दौरान उन्हें 100 दिन का रोजगार दिया जाना चाहिए. वित्तीय वर्ष यानी पूरे साल 365 दिन रोजगार दिया जाना चाहिए। इस रोजगार के दौरान श्रमिकों की सुविधा के लिए बीमारी, दुर्घटना, त्योहारों और राष्ट्रीय दिवसों के अवसर पर सवैतनिक छुट्टियों के अलावा ईएसआई और पीएफ आदि का प्रावधान किया जाना चाहिए।