चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी द्वारा टैगोर थिएटर में 24 जून से 30 जून, 2024 तक 7 दिवसीय थिएटर फेस्टिवल-2024 का आयोजन किया जाएगा

चंडीगढ़, दिनांक 30/6/2024 - चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी द्वारा 24 जून से 30 जून, 2024 तक टैगोर थिएटर में सीएसएनए 7-दिवसीय थिएटर फेस्टिवल-2024 का आयोजन किया गया। आज फेस्टिवल का आखिरी दिवस था| इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर श्री बनवारीलाल पुरोहित, पंजाब राज्य के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक उपस्थित थे|

चंडीगढ़, दिनांक 30/6/2024 - चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी द्वारा 24 जून से 30 जून, 2024 तक टैगोर थिएटर में सीएसएनए 7-दिवसीय थिएटर फेस्टिवल-2024 का आयोजन किया गया। आज फेस्टिवल का आखिरी दिवस था| इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर श्री बनवारीलाल पुरोहित, पंजाब राज्य के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ के प्रशासक उपस्थित थे| विशिष्ट अतिथियों के रूप में श्री राजीव वर्मा, प्रशासक के सलाहकार; श्री हरी कलीकट, सचिव सांस्कृतिक विभाग, चंडीगढ़ यू.टी.; एवं श्री नितीश सिंगला, निदेशक, सांस्कृतिक विभाग, चंडीगढ़ यू.टी. उपस्थित थे| चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष सुदेश शर्मा ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया। अपने संभाषण में महामहिम ने अकादमी के पदाधिकारियों एवं सभी कलाकारों को इस सफल आयोजन की शुभकामनाएं दी| उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी पहली बार स्थानीय कलाकारों को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित करने जा रही है| उन्होंने कहा कि यह एक बेहतरीन पहल है और इस पहल के लिए पूरी अकादमी बधाई की पात्र है | महामहिम ने इस अवसर पर अकादमी पुरस्कारों के प्रतीक चिन्ह तथा अकादमी द्वारा जारी प्रथम स्मारिका का भी विमोचन किया | मुख्य अतिथि श्री. पुरोहित ने कहा कि कला और साहित्य प्राचीन काल से ही हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग रहे हैं। कालिदास जैसे लोग इसका उदाहरण हैं। राज्यपाल ने स्नेहपूर्वक साझा किया कि उन्होंने भी अपने छोटे दिनों के दौरान थिएटर नाटकों में भाग लिया था, जिसने बचपन में उन पर सकारात्मक और स्थायी प्रभाव छोड़ा था। उन्होंने कहा कि हमें नाटक, थिएटर और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से समाज की बुराइयों से लड़ना चाहिए। इस अवसर पर अकादमी के अध्यक्ष सुदेश शर्मा ने बताया कि अकादमी द्वारा अगले महीने से चंडीगढ़ शहर के 23 सरकारी स्कूलों में एक महीने की नाट्य कार्यशालाओं का भी आयोजन किया जाने वाला है जिसकी प्रमुख विशेषता यह है कि उन कार्यशालाओं में बच्चों के स्कूल पाद्यक्रम हिन्दी, अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान, इतिहास आदि से किसी एक पाठ को लेकर नाटक तैयार किया जाएगा | इससे बच्चों में नाटक के माध्यम से अपने चरित्र निर्माण में तो मदद मिलेगी और उनके पाठ्यक्रम का एक पाठ भी रोचक तरीके से उन्हें याद हो जायेगा | इस अवसर पर जिस नाटक का मंचन किया गया उसका नाम था " द फर्स्ट टीचर" | इस नाटक को अलंकार थिएटर ग्रुप, चंडीगढ़ ने प्रस्तुत किया | यह नाटक रूसी लेखक 'चिंगिज़ एत्मातोव' द्वारा वर्ष 1962 में लिखी गई पुस्तक पर आधारित है तथा इसका निर्देशन चक्रेश कुमार ने किया | नाटक में रूस के एक शहर की कहानी को भारत के उत्तर प्रदेश के एक शहर "मैनपुरी" की वर्तमान स्थिति से जोड़ा है । यह नाटक सरकारी संगठन द्वारा अज्ञानी जनता को पढ़ाने के लिए एक गाँव में भेजे गए एक शिक्षक के संघर्ष के बारे में है । लेकिन गांव वाले उसका सहयोग करने से इनकार कर देते हैं और अपने बच्चों को स्कूल भी नहीं जाने देते | एक 14 साल की अनाथ लड़की 'संगीता' है, जो शिक्षक और उनके ज्ञान से मोहित हो जाती है । लड़की अपने चाचा-चाची के साथ रहती है और उनकी पिछड़ी मानसिकता का शिकार हो जाती है, जिसके चलते वह ढेर सारे पैसे लेकर एक बूढ़े आदमी से शादी कर लेती है । शिक्षक उसे समस्याओं से बचाने के लिए सभी बाधाओं से लड़ता है । फिर वह लड़की को पढ़ाई के लिए शहर भेजता है ताकि वह बड़ी होने पर सफल हो सके । यह नाटक महिला सशक्तिकरण, बालिका शिक्षा और समाज की अज्ञानता, पिछड़ी मानसिकता के खिलाफ लड़ाई का एक मजबूत संदेश देता है जो अभी भी हमारे देश के कई स्थानों पर मौजूद है । मंच पर उपस्थित कलाकार थे –चक्रेश कुमार, चंद्र प्रकाश, रीतिका ठाकुर, रमनीश चौधरी, एंजेलिका पिपलानी, शिवम काम्बोज, ज्योति सानिया, दिव्यांशी अरोड़ा, हरमन, जनक राज ढुल, मृदुल के गौतम, भाग्यशाली, चरणजीत सिंह राठौड़, स्नैडेन, लखविंदर, नेहा, कोमल शर्मा एवं अंकुश ।