चुनाव नतीजों के साथ ही चुनाव प्रचार की कमान संभालने वाले नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर है

एसएएस नगर, 3 जून - कल यानी 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर देशभर में अटकलें तेज हैं और इसके साथ ही राजनीतिक नेताओं की संख्या भी जोर पकड़ रही है। अपने संसदीय क्षेत्र की बात करें तो इन चुनावों के दौरान मोहाली विधानसभा क्षेत्र में 60.16 प्रतिशत मतदान हुआ है और क्षेत्र के कुल 1,40,287 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. इनमें से 75490 पुरुष, 64774 महिला और 3 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं।

एसएएस नगर, 3 जून - कल यानी 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों को लेकर देशभर में अटकलें तेज हैं और इसके साथ ही राजनीतिक नेताओं की संख्या भी जोर पकड़ रही है। अपने संसदीय क्षेत्र की बात करें तो इन चुनावों के दौरान मोहाली विधानसभा क्षेत्र में 60.16 प्रतिशत मतदान हुआ है और क्षेत्र के कुल 1,40,287 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है. इनमें से 75490 पुरुष, 64774 महिला और 3 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं।
इन चुनावों के नतीजों के साथ ही क्षेत्र के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. अगर बात आनंदपुर साहिब सीट से चुनाव लड़ रहे विभिन्न उम्मीदवारों की करें तो इन नतीजों का बड़ा असर उन प्रमुख नेताओं पर पड़ेगा जो मुख्य मुकाबले में दिख रहे उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे हैं.
कांग्रेस पार्टी की बात करें तो कांग्रेस प्रत्याशी विजय सिंगला के चुनाव की मुख्य कमान पूर्व मंत्री श्री बलबीर सिंह सिद्धू को सौंपी गई थी। हालाँकि, इस बीच, कांग्रेस नेताओं का एक अलग गुट श्री सिद्धू से अलग प्रचार कर रहा था वहीं श्री सिंगला के परिवार के सदस्य भी चुनाव प्रचार में शामिल थे लेकिन यह कहा जा सकता है कि निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस की जीत या हार की जिम्मेदारी श्री सिद्धू पर आनी तय है।
वहीं, आम आदमी पार्टी की बात करें तो पार्टी प्रत्याशी श्री मालविंदर सिंह कंग के चुनाव प्रचार की पूरी जिम्मेदारी हलका विधायक श्री कुलवंत सिंह के कंधों पर थी। और यह स्पष्ट है कि श्री कंग को मिलने वाले कम या ज्यादा वोटों की जिम्मेदारी भी श्री कुलवंत सिंह के सिर ही आनी है।
भारतीय जनता पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे श्री सुभाष शर्मा के विधानसभा क्षेत्र मोहाली में प्रचार की जिम्मेदारी भाजपा जिला अध्यक्ष संजीव वशिष्ठ की थी। और जाहिर तौर पर इस क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी को मिले वोटों का श्रेय भी उन्हें ही दिया जाना चाहिए. इस संबंध में अधिकांश भाजपा नेताओं का मानना ​​है कि जिस तरह से श्री वशिष्ठ ने चुनाव के दौरान जमीनी स्तर पर काम किया है, उसे देखते हुए पार्टी का प्रदर्शन पिछली बार (विधानसभा चुनाव) से काफी बेहतर रहने की उम्मीद है, जिससे श्री वशिष्ठ को राजनीतिक लाभ भी देना है
अगर बात करें शिरोमणि अकाली दल के उम्मीदवार प्रोफेसर प्रेम सिंह चंदूमाजरा की तो उन्होंने खुद पार्टी प्रचार की कमान संभाली. लेकिन उनके चुनाव प्रचार के दौरान हलका प्रभारी परविंदर सिंह सोहाना ने भी अहम भूमिका निभाई. इस बीच जहां गांवों की पूरी जिम्मेदारी श्री सोहना ने संभाल रखी थी, वहीं शहरी क्षेत्र में उनके साथ पार्टी के कई नेता और श्री चंदूमाजरा का परिवार भी चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहा था। इसके बावजूद हलके में पार्टी के खाते में पड़ने वाले वोटों का असर परविंदर सिंह सोहाना पर ही पड़ता है.
इन चार प्रमुख उम्मीदवारों के अलावा और भी ऐसे उम्मीदवार हैं जिनके समर्थकों ने अपने-अपने उम्मीदवारों का प्रचार किया है, लेकिन उन उम्मीदवारों के मुख्य मुकाबले में नहीं होने के कारण उनके समर्थक नेताओं को कोई खास फर्क नहीं पड़ रहा है.
देखने वाली बात यह होगी कि लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद क्षेत्र के इन नेताओं को राजनीतिक तौर पर क्या नुकसान होगा.