
सुखविन्दर पप्पी के उपन्यास "धरत विहुने" पर गोष्ठी एवं कवि दरबार का आयोजन किया गया
नवांशहर - आज दोआबा साहित्य सभा नवांशहर और दोआबा आर्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्वारा दोआबा सीनियर सेकेंडरी स्कूल नवांशहर में सुखविंदर पप्पी के उपन्यास 'धरत विहुणे' पर गोष्ठी और कवि दरबार का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता प्रोफेसर संधू वरयानवी, दर्शन सिंह खटकड़, प्रोफेसर बलविंदर सिंह चहल, नवतेज गढ़दीवाला और बलविंदर सिंह ग्रेवाल ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में मुकेश मलौद उपस्थित थे।
नवांशहर - आज दोआबा साहित्य सभा नवांशहर और दोआबा आर्य सीनियर सेकेंडरी स्कूल द्वारा दोआबा सीनियर सेकेंडरी स्कूल नवांशहर में सुखविंदर पप्पी के उपन्यास 'धरत विहुणे' पर गोष्ठी और कवि दरबार का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता प्रोफेसर संधू वरयानवी, दर्शन सिंह खटकड़, प्रोफेसर बलविंदर सिंह चहल, नवतेज गढ़दीवाला और बलविंदर सिंह ग्रेवाल ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में मुकेश मलौद उपस्थित थे।
स्कूल के प्रिंसिपल राजिंदर सिंह गिल ने स्वागत किया। उपन्यास पर एक आलोचनात्मक पेपर पढ़ते हुए प्रोफेसर बलविंदर सिंह चहल ने कहा कि सुखविंदर पप्पी का यह उपन्यास कई मायनों में अनोखा है। जिसमें मुख्य पात्र वीरां पित्तर सत्ता, दलित महिला के आत्मसम्मान और भूमि के अधिकार के खिलाफ लड़ता है। नायिका अपना नायकत्व स्वयं रचती है। इस उपन्यास के अन्य पात्र संदीप संधू और बीरू संजीव हैं। दर्शन सिंह खटकड़, प्रोफेसर बलविंदर सिंह ग्रेवाल, नवतेज गढ़दीवाला, प्रोफेसर भजन सिंह गिल, प्रोफेसर संधू वरयानवी और डॉ. केवल राम नवांशहर ने कहा कि उपन्यास भूमि संघर्ष को चिह्नित करता है और यह भूमिहीन दलितों के अस्तित्व के बारे में भी बात करता है। उपन्यास में पंजाब के श्रम की आत्मा बीरू चरित्र के माध्यम से बोलती है और यह अजीम चरित्र है। बूटा सिंह महमूद पुर, दलजीत सिंह एडवोकेट और मुकेश मलौद, संदीप नैयर ने कहा कि वीरां एक नए तरह के इंसान की रचना है। उपन्यास का चरित्र निर्माण यथार्थवादी है। उपन्यासकार एक कवि भी है इसलिए इस उपन्यास में उसकी काव्यात्मक शैली की झलक मिलती है। उपन्यासकार ने भूमि और संघर्ष का मुद्दा उठाया है। उपन्यासकार सुखविंदर पप्पी का यह उपन्यास स्त्री मुक्ति, भूमि संघर्ष, जातीय उत्पीड़न के विरुद्ध संघर्ष और स्त्री स्वाभिमान के संघर्ष के वर्णन और दिशा की अगली कड़ी है। उन्होंने कहा कि अपनी जड़ों से दूर जाकर कोई आगे नहीं बढ़ सकता। हमें अपने नायकों की रक्षा करने की आवश्यकता है अन्यथा हमारे विरोधी हमारे नायकों की रक्षा करेंगे।
मंच का संचालन कथावाचक अजमेर सिद्धु ने किया। कवि दरबार में नवतेज गढ़दीवाला, भूपिंदर सिंह वड़ैच, कुलविंदर कुल्ला, बलवीर कुमार, हरी राम रसूलपुरी, रमनजोत, हरविंदर सिंह, किरणदीप कौर, जीत कौर खुर्द ने कविताएं सुनाईं। इस मौके पर उपन्यासकार सुखविंदर पप्पी और मुकेश मलौद को भी सम्मानित किया गया। अमरजीत कौर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
