पंजाब और पंजाबियों की खुशहाली के लिए अकाली-बीजेपी गठबंधन जरूरी- गैंद/राणा

होशियारपुर - पंजाब में हिंदू-सिख एकता बनाए रखने के लिए अकाली और बीजेपी का गठबंधन होना जरूरी है और यह पंजाब और पंजाब के लोगों के लिए दोनों पार्टियों द्वारा उठाया गया सही कदम होगा। उपरोक्त विचार नई सोच वेलफेयर सोसायटी के संस्थापक अध्यक्ष अश्वनी गैंद एवं राणा हॉकी अकादमी के चेयरमैन रणजीत सिंह राणा ने आज यहां जारी एक प्रेस बयान के माध्यम से व्यक्त किये।

होशियारपुर - पंजाब में हिंदू-सिख एकता बनाए रखने के लिए अकाली और बीजेपी का गठबंधन होना जरूरी है और यह पंजाब और पंजाब के लोगों के लिए दोनों पार्टियों द्वारा उठाया गया सही कदम होगा। उपरोक्त विचार नई सोच वेलफेयर सोसायटी के संस्थापक अध्यक्ष अश्वनी गैंद एवं राणा हॉकी अकादमी के चेयरमैन रणजीत सिंह राणा ने आज यहां जारी एक प्रेस बयान के माध्यम से व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि पिछले दो चुनावों (विधानसभा 2022 और लोकसभा 2024) में दोनों पार्टियों ने अपनी ताकत दिखाकर चुनाव लड़ा और परिणाम शून्य रहा और विरोधियों की रणनीति सफल होती दिख रही है. कि हिंदू और सिखों में फूट पड़ गई है. उन्होंने कहा कि होशियारपुर ही नहीं बल्कि हर हलके और जिले के अकाली-भाजपा नेताओं से अपील है कि वे गठबंधन का मुद्दा अपने-अपने हाईकमान के पास उठाएं और पहले की तरह पंजाब में सरकार बनाकर पूरी ताकत से लड़ें। यहां बढ़ती अलगाववादी ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दें। श्री गैंद और राणा ने कहा कि पंजाब में बढ़ती आपराधिक घटनाएं और हिंदू-सिख एकता में दरार पैदा करने वाली ताकतों का उभरना चिंता का विषय है. सोशल मीडिया के जरिए पंजाब और हिंदू-सिख विरोधी ताकतें ऐसा माहौल बना रही हैं कि लोगों के दिलों में डर की भावना बढ़ती जा रही है. जिससे पंजाब की समृद्धि कभी भी खतरे में पड़ सकती है। उन्होंने पंजाब के लोगों से भी अपील की कि वे अपने राज्य में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए भड़काऊ पोस्टों पर ज्यादा ध्यान न दें। और ऐसी बातें लिखने या पोस्ट करने वालों का विरोध करने की बजाय उनकी पोस्ट पर लाइक या कमेंट कर उनका हौसला बढ़ाएं. श्री गैंद और राणा ने दोनों दलों के प्रमुख नेताओं को अहंकार और वर्चस्व की लड़ाई छोड़कर एकजुट होकर एकता के रास्ते पर चलने के लिए आमंत्रित किया, अन्यथा भविष्य में परिणाम 2024 जैसे ही होंगे. क्योंकि अगर दोनों मिलकर चुनाव लड़ते तो आज चुनाव नतीजे अकाली-बीजेपी के पक्ष में होते. लेकिन अलग-अलग लड़ने पर दोनों को करारी हार का सामना करना पड़ा, जो पंजाब के पक्ष में नहीं है.